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स्वस्थ शरीर के लिए पोषक आहार

डॉ. सुरेन्द्र कुमार गुप्ता, गोंदिया, महाराष्ट्र के निवासी द्वारा सुझाए गए इन पदार्थोँ को अपने साप्ताहिक मेन्यू मेँ सम्मिलित करेँ।

  • अलसी - कम भूनी हुई।
  • शकरकंद (जब ताजे उपलब्ध हो)।
  • गाजर, ककड़ी (दस्त होने पर ना लेँ)।
  • कीटनाशक रहित (आर्गनिक) मौसमी फल व शाक/सब्जियाँ।
  • आँवला, नीबू, प्याज, लहसन।
  • तुलसी के ताजे पत्ते, अजवाईन, दालचीनी,काली मिर्च।
  • लौँग और इलायची (सप्ताह मेँ १५-२० से अधिक नहीँ)।
  • घी या MCT-oil को तलने के लिए कभी-कभार उपयोग कर सकते है।
  • कच्ची या कम पकी हुई अलग-अलग रंगोँ की शिमला मिर्चेँ।
  • मूंगफली - कच्ची, उबाली हुई या कम भूनी हुई (अगर आपको इससे एलर्जी नहीँ है तो)।

यदि आप शाकाहारी हैँ तो नीचे दिए पदार्थोँ का अवश्य सेवन करेँ।

  • घर पर बनी छाछ, घर पर बना योगर्ट/दही।
  • विभिन्न प्रकार की दालेँ।
  • सावधानीपूर्वक चुने हुए मशरूम।
  • तुरंत फोड़े हुए अखरोट की गिरी।
  • शुद्ध मक्खन या घी।

हानिकारक तत्वोँ से बचेँ

फलाहार के नाम पर तलाहार का उपयोग ना करेँ। वनस्पति तेल केवल कच्ची घानी का ही लेँ तथा इन्हेँ अचार मेँ, चटनी मेँ, या रोटी पर लगा कर कच्चा ही सेवन करेँ। वनस्पति तेलोँ मेँ तले पदार्थोँ का सेवन करने से बचेँ। अधिक गर्म होने पर वनस्पति तेलोँ मेँ हानिकारक रसायन उत्पन्न होने लगते हैँ!

एडवांस ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स (AGEs) बनने के बाद खाद्य पदार्थ अक्सर भूरे (brown) या जले हुए दिखाई देते हैँ तथा कुरकुरे हो जाते हैँ, और उनका स्वाद बढ़ जाता है।

खाद्य पदार्थोँ मेँ 'एडवांस ग्लाइकेशन एंड-प्रोडक्ट्स' के बनने से बचने के लिए, तलने, अधिक सेँकने या अधिक भूनने के बजाय भाप मेँ पकाना, उबालना और धीमी आँच पर पकाने जैसे तरीके अपनाएँ। इसके अलावा, पकाने से पहले नींबू का रस या सिरके जैसे अम्लीय सामग्री से खाद्य पदार्थों को लपेटने से AGEs बनना कम हो सकता है।


अगर प्याज नरम और भदरंग दिखे या फिर उसमेँ कई दिनोँ से अंकुर फूट गए हो और उसमेँ से अलग गंध आए तो उसे फेँक देँ। हरे दिखने वाले या अंकुरित आलु फेँक देँ। किसी-किसी को टमाटर के छिलके खाने से पाचन समस्याएँ हो सकती है।

अधिक मात्रा मेँ अदरक का सेवन हृदय की अनियमित धड़कनोँ (अरिथमिया) व अन्य स्वास्थ्य समस्याओँ को बढ़ा सकता है। अदरक का उपयोग रक्त को पतला करने के लिए किया जा सकता है, पर अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से पूछ कर ही ऐसा करेँ।

मैदे से पूर्णतया बचे। गेँहू की जगह बाजरा, जवार, जौ, रागी, क्विनोवा जैसे मिलेट्स (श्रीअन्न) या कम पॉलिश किए (ब्राउन) चावल के उपयोग को प्राथमिकता देँ।

कारखाने मेँ बनी शक्कर की जगह साफ गुड़ का प्रयोग (थोड़ी मात्रा मेँ ही) करेँ।

कारखाने मेँ बने नमक का उपयोग कम करेँ। पर इसमेँ आयोडिन नामक उपयोगी तत्व मिलाया जाता है इसलिए इसका उपयोग पूरी तरह बंद नहीँ कर सकते। ब्लड प्रेशर (रक्त चाप) अधिक होने पर लो सोडियम (low sodium) नमक का उपयोग (कम मात्रा मेँ ही) करेँ। लो सोडियम नमक मेँ पोटेसियम अधिक होता है, जो कुछ लोगोँ के लिए हानिकारक हो सकता है।

हल्दी मेँ होने वाली मिलावट के प्रति सजग रहेँ। अधिक मात्रा मेँ हल्दी का प्रतिदिन सेवन ना करेँ। हल्दी, लहसुन जैसे पदार्थोँ मेँ चिकित्सिय गुण होते हैँ; पर सप्ताह मेँ एक दिन इनका सेवन ना करेँ।

अनेकोँ आहार (पोषण) विशेषज्ञ निम्न आहार लेने की सलाहेँ देते हैँ।

  • उबले अंडे : अगर आपको अंडोँ से एलर्जी नहीँ है तो कभी-कभार प्रातः देसी अंडोँ के पीले और सफेद दोनोँ हिस्सोँ का सेवन करेँ। Prefer free-range eggs.
  • सब्जियाँ : विभिन्न विटामिन और खनिजोँ की विविधता के लिए अलग-अलग रंगोँ की ऑर्गनिक व मौसमी सब्जियोँ का सेवन करेँ।
  • प्रोटीन : माँसपेशियोँ की सेहत और स्थायी ऊर्जा के लिए बीन्स, टोफू जैसे प्रोटीन शामिल करेँ।
  • साबुत अनाज (whole grains) : फाइबर व कार्बोहाईड्रेट्स के लिए भूरे चावल (brown rice) और क्विनोआ जैसे साबुत अनाजोँ का चयन करेँ।
  • प्राकृतिक आवश्यक फैट (तैलिय पदार्थ) : अखरोट, एवोकाडो, नारियल-तेल (थोड़ी मात्रा मेँ) और जैतुन-तेल जैसे पदार्थ हृदय को स्वास्थ्य बनाए रखने मेँ सहायक होते हैँ।
  • फल : प्राकृतिक मिठास और एंटीऑक्सीडेंट्स (antioxidants) के लिए विभिन्न प्रकार के फलोँ का आनंद लेँ।ऑक्सिडेशन/ ऑक्सीकरण के कारण उत्पन्न हानिकारक मुक्त कणोँ(free radicals) को निष्क्रिय करने वाले तत्वोँ को antioxidants कहते हैँ।
  • पानी :थोड़ा-थोड़ा साफ पानी पीकर, उचित पाचन और अन्य शारीरिक क्रियाओँ व स्वस्थ त्वचा के लिए शरीर मेँ नमी बनाए रखेँ।
  • कॉड लिवर आयल कैप्सूल : कॉड लिवर आयल मेँ ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, विटामिन D, और विटामिन A होते हैँ। कैप्सूल के रूप मेँ इसका सेवन आसान हो जाता है। स्वस्थ व्यक्तियोँ को इनका नियमित सेवन नहीँ करना चाहिए।

एलर्जी से सावधान रहेँ

यदि आपने अंडे या मछली कभी नहीँ खाई है, तो इनकी एलर्जी की जाँच करने के बाद ही इन्हेँ खाना चाहिए। कॉड लिवर ऑयल के कैप्सूल का सेवन शुरू करने से पहले, कृपया किसी प्राथमिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सक से आगे दी गई विधि (प्रक्रिया) के पालन के बारे मेँ जानकारी लेँ। आप एक कॉड लिवर ऑयल की कैप्सूल काट कर 5-7 बूंदेँ अपनी हथेली मेँ लगाएँ, उपर से रूमाल बांध कर सुखने देँ। यदि आपने जहाँ बूंदे लगाई थी, वहाँ कोई एलर्जिक प्रतिक्रिया (लाली या खाज) नहीँ है, तो इस प्रक्रिया को दोबारा दोहराएँ। किसी तरह की प्रतिक्रिया ना होने पर कॉड लिवर ऑयल की एक बुंद चखेँ। किसी तरह की समस्या ना होने पर एक सप्ताह मेँ एक या दो कैप्सूल का सेवन करे सकते हैँ। इसी तरह की प्रक्रिया अंडे के सफेद और पीले द्रव्य के साथ कर सकते हैँ।

Seek advice from a primary health professional or a general practitioner before starting to consume eggs or cod liver oil capsules. If you have never consumed these, you can put a few drops of fish oil from a capsule or egg white and egg yolk on your palm and let it dry to test for any allergies. Even if you don't see any visible allergic reaction where you have applied the drop, start consuming them in very small quantities. Healthy people should not consume cod liver oil capsules regularly.



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First draft of this document was uploaded before: Nov. 2023.
Latest revision of this document was uploaded On: 19 June 2024.